मायावती ने लिया बड़ा फैसला, इन दस सीटों पर उतारेंगी मुस्लिम प्रत्याशी
Lucknow. आगामी लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर बहुजन समाज पार्टी ने कमर कस ली है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी में लोकसभा प्रभारियों की लिस्ट जारी की है। माना जा रहा है कि मायावती ने जो प्रभारी तय किए गए हैं, वही लोकसभा के प्रत्याशी होंगे। मायावती ने छह लोकसभा सीटों पर मुस्लिमों को प्रभारी बनाया है। बताया जा रहा है कि यह संख्या आने वाले दिनों में बढ़कर दस हो सकती है।
उत्तर प्रदेश में 38 सीटों पर बसपा लोकसभा चुनाव लड़ रही है, उनमें से 10 सीटें आरक्षित हैं, जबकि 28 सीटें सामान्य हैं। बीएसपी ने अपने कोटे से इन 28 सीटों में से नौ सीटें ब्राह्मण को दी हैं। अन्य पिछड़ी जातियों सहित दूसरी जातियों को समायोजित करने के लिए बीएसपी ने दस सीटें छोड़ दी हैं, जबकि 9-10 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों को उतारने की तैयारी है।
ब्राह्मणों को नौ टिकट देना समझ में आता है, क्योंकि ब्राह्मणों ने मायावती को पहले भी वोट दिया है। हालांकि बीते विधानसभा चुनाव में टिकट देने के बावजूद वह मुस्लिम वोट वैंक को लुभाने में सफल नहीं रहीं। यूपी में 19 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं।
2007 में बीएसपी सत्ता में आई थी, क्योंकि दलित, ब्राह्मण, अन्य उच्च जाति के एक वर्ग और गैर-यादव ओबीसी जैसे प्रजापति, सैनी और अन्य ने उनकी पार्टी का समर्थन किया था, लेकिन मुस्लिम समाजवादी पार्टी के साथ काफी हद तक टिके रहे थे।
2012 में मायावती चुनाव हार गईं और अपना सामाजिक ढांचा फिर से तैयार करने में जुट गईं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने किसी भी अन्य पार्टी की तुलना में ज्यादा मुसलमानों को टिकट दिए।
बीएसपी ने तब 19 मुस्लिमों को मैदान में उतारा, जबकि सपा ने 14 मुसलमानों को टिकट दिए थे। हालांकि, इन दोनों पार्टियों के एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को जीत हासिल नहीं हुई।
2017 के विधानसभा चुनाव में, बीएसपी ने 99 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, जबकि एसपी ने 62, और कांग्रेस ने 18 मुस्लिमों को टिकट दिया था।
हालांकि, बीएसपी के 99 में से केवल पांच मुस्लिम ही जीते। 2017 के विधानसभा चुनावों में बीसपी ने 19 सीटें जीती थीं। दूसरी ओर एसपी के टिकट पर 17 मुस्लिम विधायक जीते थे।
बसपा के साथ एक और समस्या यह है कि उसके पास एक मजबूत मुस्लिम नेता नहीं है। पार्टी के पास नसीमुद्दीन सिद्दीकी के रूप में एक बड़ा मुस्लिम चेहरा था, लेकिन वह भी अब कांग्रेस के साथ हैं।
मायावती के लिए एक नया मुस्लिम नेतृत्व स्थापित करना भी एक चुनौती है, जो अपने निर्वाचन क्षेत्र से मुस्लिम वोटरों को आकर्षित कर सके। मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजल दो ऐसे नेता हैं, जिनका पूर्वांचल के बड़े हिस्से में मुस्लिम वोटों पर प्रभाव है।
सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रहीं मायावती के लिए मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने का यह सबसे अच्छा मौका है।
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